महादेव और ब्रह्मा का पाँचवाँ सिर: Kapaal Agni का रहस्य
🔱 महादेव और ब्रह्मा का पाँचवाँ सिर:
Hindu dharma में Shiva, Vishnu और Brahma — ये तीनों सृष्टि के आधार हैं।
पर बहुत कम लोग जानते हैं कि कभी Brahma के पाँच सिर हुआ करते थे।
आज उनके चार मुख क्यों दिखाई देते हैं?
पाँचवाँ सिर कहाँ गया?
और उसे किसने नष्ट किया?
इस दुर्लभ कथा में छिपा है —
अहंकार, विनम्रता और शिव की दिव्य शक्ति का संदेश।
सृष्टि-निर्माण के बाद Brahma अपने ज्ञान और शक्ति पर गर्व करने लगे।
उनके पास पाँच सिर थे —
चार दिशाओं को देखने के लिए,
और पाँचवाँ सिर आकाश दिशा को देखने के लिए।
धीरे-धीरे उनमें यह भावना आने लगी:
“मैं सृष्टि का रचयिता हूँ।
मुझसे बड़ा कोई नहीं।”
अहंकार ने उनके भीतर की बुद्धि को ढँक लिया।
एक दिन Brahma ने Shiva को देखा और बोले:
“मैं सर्वश्रेष्ठ हूँ, क्योंकि मैंने तुम्हें भी रचा है।”
यह बात सत्य नहीं थी, पर अहंकार में डूबे Brahma सत्य को पहचान न सके।
Shiva शांत रहे,
क्योंकि उनका स्वरूप अहंकार-रहित ज्ञान है।
लेकिन Brahma का पाँचवाँ सिर
ऊपर से Shiva को देखकर हँसा।
उस अहंकार के कंपन से
पूरा ब्रह्मांड विचलित हो गया।
Shiva ने क्रोध नहीं किया,
न ही अपना तीसरा नेत्र खोला।
उन्होंने अपनी उँगली के नाखून से
एक छोटी-सी Kapaal Agni उत्पन्न की —
एक ऐसी अग्नि जो केवल अहंकार को जलाती है,
आत्मा को नहीं।
बस एक क्षण में
Brahma का पाँचवाँ सिर भस्म हो गया।
Brahma के अहंकार का अंत हो गया।
उनकी बुद्धि वापस जाग उठी।
उन्होंने Shiva के चरणों में झुककर क्षमा माँगी।
इस घटना के बाद
Brahma चार-मुखी रह गए —
आज हम उन्हें इसी रूप में देखते हैं।
✔ 1. ज्ञान का मूल है विनम्रता
अहंकार ज्ञान को नष्ट कर देता है।
✔ 2. Shiva सृष्टि को संतुलन में रखते हैं
वे negativity को मिटाते हैं,
पर आत्मा को कभी नहीं छूते।
✔ 3. शक्ति का उपयोग उचित स्थान पर ही हो
Shiva ने केवल उतनी ही शक्ति का उपयोग किया
जितना आवश्यक था।
✔ 4. ब्रह्मांड सत्य और व्यवहार दोनों से चलता है
अहंकार बढ़े तो विनाश तय है।
🔱 Shiva को ‘Kapaal Mochan’ क्यों कहा जाता है?
क्योंकि उन्होंने Brahma के
अहंकार-जनित पाँचवें सिर को नष्ट किया।
उस समय Brahma के सिर का “कपाल”
Shiva के हाथ में चिपक गया था।
इसी कारण उन्हें Kapaal Mochan भी कहा गया।
Brahma और Shiva की यह कथा हमें सिखाती है—
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ज्ञान बड़ा है, पर विनम्रता उससे भी बड़ी।
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शक्ति बड़ी है, पर संयम उससे भी बड़ा।
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और शिव—सबसे बड़े इसलिए हैं क्योंकि वे स्वयं अहंकार-रहित शक्ति हैं।
Shiva का न्याय सत्य पर आधारित है,
और उनका संदेश है:
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